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Monday, June 13, 2011

गोईठा में घी सुखाने से फायदा नहीं मंत्री जी !


अब तो फेल होने से भी सर ऊँचा होने लगा है . ई नयका संपादक सम्पादकीय लिखने में फेलो हो जायगा तो अपना सर ऊँचा ही रहेगा. पाहिले ही सनिया भूमिका बना के गया है सही है परीक्षा में फेल होने से का होगा ईमानदारी में तो पास हो गए मंत्री साहेब. मंत्री साहेब ईमानद...ारी की परीक्षा में पास तो हो गए लेकिन मंत्री के बेटे-बेटी के अलावा कई और महापुरुषों के दिल कचोट रहा है . ये महापुरुष शिक्षा जगत के परचम दार हैं . पाहिले तो दर्द का अनुभव हुआ डोरंडा कालेज के शिक्षको का . भले ही ये लोग कुरता झाड़कर इमानदारी की बात करे लेकिन सच तो यह है कि जिन मंत्री संतानों ने सभी विषयो में महज तेईस फीसदी अंक हासिल किये उन्हें प्रक्टिकल की परीक्षा में लगभग शत प्रतिशत अंक मिले . यह कृपा तो उसी कालेज के इमानदार शिक्षको की बदौलत मिले हैं . क्योंकि प्रैक्टिकल परीक्षा में तो अपने ही कालेज का डंका बजता है . उन्हें अब ई दरद हो रहा होगा कि उनकी जी तोड़ मेहनत बेकार गया . दूसरे ऊ लोग हैं जो इन मंत्री संतानों के पास होते ही अपने कोलेज या संस्थाओ में एडमिशन के लिए लपकने को तैयार बैठे थे . खुद भी कृतार्थ होते और मंत्री जी को भी कृतार्थ करते . आजकल तो इंजीनियरिंग के कोलेज हो या कोचिंग के संसथान ऐसे मौके की तलाश में होते हैं .इडियट पत्रकारों से कहा भी गया है कि वे पता लगाये कि ये दोनों नौनिहाल कही किसी प्रतियोगिता में सफल तो घोषित नहीं न कर दिए गए है ,इस उम्मीद में कि मंत्री के बच्चे हैं फेल कैसे होंगे . और वे शिक्षक तो फूट फूट कर रो रहे हैं जिन्हें रिजल्ट निकलने के अगले ही दिन शिक्षा मंत्री ने शाल देकर सम्मानित किया था . मंत्री जी भी सोच रहे होंगे कि गोइठा में घी सुखाने से कोई फायदा नहीं एतना सम्मान भी दिया और दो छोटे छोटे बच्चो का मन भी नहीं रख सके . डरे भागे चल रहे होंगे कि शलवा वापस न ले ले . शाल ही नहीं पंद्रह हजार रूपया भी तो उनकी अंटी में बाँध गए थे मंत्री साहेब .पयिसवो गया शालो गया इज्जत भी गयी आउर नौकरी पर भी आफत .बहरहाल बच्चो की करतूत ने मंत्री बाप के चेहरे में कालिख पोत दिया . अपन मंत्री जी को देखने गए तो कालिख नहीं दिखा . यह उनके ओरिजनल कलर का कमाल था कि इमानदारी का तमगा मिलने की तासीर यह पता लगाने में समय लगेगा . मीडिया वालन को तो मजा आ रहा है कि ऐसा मजेदार खबर चहक-चहक कर चटखारे ले-ले कर परोसा जा रहा है . पाहिले से ही अनूठा और अजूबा राज्य का दर्जा पा चुके झारखण्ड में ई परकरण चार चाँद लगा रहा है . ऊ कहावत ही बदल गयी कि करेला के ऊपर नीम चढ़ा , अब कहा जा रहा है काला पर कालिख पोता . दू दिन शिक्षा मंत्री को समर्पित रहा सम्पादकीय देखिये कल कहीं आपकी ही बारी तो नहीं फ़िलहाल जोहार योगेश किसलय

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