हर वो समाचार को एक बेहतरीन अंदाज में पायें जो आप अक्सर चैनल और न्यूज़ पेपर में नहीं पा सकते हैं ! इस अचार युक्त समाचार पढ़ते वक़्त आपके जीभ से निकलने वाली चटकारा कि आवाज़ इतनी जोरदार होनी चाहिए कि सत्ता और व्यवस्था में बैठे लोगों के कान के पर्दें हिल जाएँ !

Wednesday, June 8, 2011

बिन जूता सब सून !


मन बड़ा बेचैन था ,इसलिए बिना बताये छुट्टी पर चला गया . वजह ? खबर निकालने के लिए अपने पास कोई औजार नहीं था खबर बनने की औकात नहीं थी . क्यों? अरे अपने पास जूता नहीं है न जूता और खबर में क्या सम्बन्ध है आपको पता चाल ही गया होगा टीवी पर दिग्विजय सिंह जैसे नेता भले चीख चीख कर बोलते हो लेकिन इन नेताओ की आजकल बन आयी है इन्हें काबू में करने वाले पत्रकार ही हैं .पत्रकार भाई लोग जहा भी जाते हैं नेताओ के नाड़े ढीले होने लगे हैं . डर उनके दनदनाते सवालो से नहीं बल्कि उनके जूतों से है कब मूड बिगड़ा कि खबर लेने लगे जूतों से .अरे जब ओसामा को काबू में करने वाले ओबामा को जूता छाप पत्रकारों ने नहीं बक्शा तो जनार्दन द्विवेदी की क्या औकात अगर ये नेता खबर नहीं देंगे तो जूता दिखाकर खबर निकाल लेंगे .खबर नहीं निकाल सके तो खुद खबर बन जायेंगे . अरे संपादक को क्या चाहिए मसाला भर ना .मसाला तो ऐसे निकालेंगे कि चौबीस घंटे टी आर पी मिलेगी अखबारों में भी अच्छा खासा फूटेज खायेंगे .लेकिन अपन क्या करे ? अपन तो चप्पल पहनते हैं गाहे बगाहे ही जूता से सुशोभित होते हैं . अपन को चिंता है कि खबर कैसे निकालेंगे .सो नेताओ से गुहार लगाने की सोच रहे हैं कि जूता जितना अहमियत चप्पल को भी दिया जाये . उधर नेता लोग गोलबंदी किये हुए हैं कि किसी भी प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों के जूता पहन कर आने में प्रतिबन्ध लगा दिया जाये गनीमत है अपन चप्पल पहनते हैं ,सो इस आईडिया से अपन सहमत हैं लेकिन चप्पल पहन कर आने पर भी कहीं प्रतिबन्ध लग गया तो ? इतना तो मंदिर मस्जिद जाने में भी परेशानी नहीं होती है अब प्रेस कांफ्रेंस में चप्पल जूता कैसे निकालकर जाये .नेता हैं कोई देवता नहीं . पार्टी कार्यालय नहीं हुआ मंदिर की ड्योढ़ी हो गयी . भाई अपने पत्रकार भाई तो पत्रकारिता के प्रति निष्ठांवान हैं खबर तो निकालेंगे और वह भी हर कीमत पर चाहे जूता ही चमकाना क्यों ना पड़े .
कल नागा हो गया था आज सम्पादकीय लिख रहा हूँ , बताऊ क्यों .... कल जूता खरीदने गया था भाई
आज इतना ही .अगर आप नेता है तो आपका दिन शुभ हो बाकी का तो शुभ ही शुभ चल रहा है
जोहार
योगेश किसलय

1 comment: