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Monday, June 20, 2011

जमशेदपुर की जंग !


जमशेदपुर का मैदान एक बार फिर से तैयार है। पक्ष और विपक्ष के खिलाड़ी मैंदान में उतर कर अपना-अपना पोजीसन ले चुके हैं। इस खेल को देख कर मज़ा लुटने वाले और आनंदित होने वाले भी पहुँच चुके हैं। अरे देखिएगा कही आप ये मत समझ लीजियेगा कि हम आपको कीनन स्टेडियम से क्र...िकेट मैच का लाइव कमेंट्री सुना रहे हैं। भईया हम तो सत्ता का/राजनीति का/झारखण्ड कि दुर्गति के खेल का कमेंट्री सुना रहे हैं। हमेशा कि तरह एक बार फिर से झारखण्ड में होने वाला यह चुनाव भी रास्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है/बनाने वाला है। क्यूंकि रांची में एक साथ सत्ता कि कुर्सी पर बैठने वाले रांची से महज अस्सी माइल्स कि दुरी पर जमशेदपुर में मंच के आमने-सामने होंगे। इस संघर्ष का नाम भले ही दोस्ताना दे दिया गया हो लेकिन यदि शिबू चाचा कि चुप्पी और सुदेश भईया का युवापन जड़ा सा भी अपना धैर्य खोया तो रांची कि कुर्सी डगमगा जाएगी। मानसून के आने से चारो ओर हरियाली और मेढ़क कि टरटराहट सुनाई देनी लगी है तो वहीँ दूसरी ओर चुनाव आने से नेताओं के भी शरीर पर सफेदी और मुख से टरटराहट सुनाई देनी लगी है। इस चुनाव में सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी दिग्गज नेताओं को मैदान में प्रत्याशी के रूप में उतारी है। इसलिए आशा यही है कि संघर्ष जानदार होगा। वैसे बाबूलाल चचा ने कह भी दिया है कि इस चुनाव के परिणाम से सभी पार्टियों का औकात पता चलेगा। वैसे यदि बाबूलाल आइपीएस को मैदान में उतार कर सोच रहे हों कि उन्होंने कोई तीर मार लिया है और जमशेदपुर कि जनता उनको समर्थन देगी तो ये सरासर गलत होगा। क्यूंकि झारखण्ड में हजारीबाग पहले से ही एक आइपीएस झेल रहा है और ये बताने कि जरुरत नहीं है कि हजारीबाग कि आज क्या हालत है। पूरा हजारीबाग चीख-चीख कर यशवंत चचा को दुहाई दे रहा है और पूछ रहा कि उन्होंने आज तक किया क्या है । बीजेपी ने भी अपने प्रदेश के मुखिया को दाव पर लगा दिया है । अब तो चुनाव में ही देखना होगा कि हमेशा से गुप-चुप रहने वाले ये प्रदेश अद्यय्क्ष जी क्या गुल खिलाते हैं। कोंग्रेस बन्ना को उतार कर सोच रही है कि उन्हें अन्ना कि तरह समर्थन मिलेगा। तो जेएम्एम् अपने हारे हुए प्रत्याशियों पर दाव लगा रही है। कुल मिलाकर ये दोस्ताना संघर्ष बड़ा ही आनंददायक होगा। देखते हैं आगे क्या होता है ? फ़िलहाल सन्नी शारद का जोहार फिर मिलते हैं........

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