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Tuesday, July 5, 2011

मुख्यमंत्री साहब जिन लोगों ने अपनी संताने खो दी उनको ग्रेस कौन देगा ?

पगडंडियों पर चल रही झारखण्ड में गठबंधन की सरकार की सभी पार्टियाँ जब जमशेदपुर के उपचुनाव में औंधे मुह गिरी तो तिलमिला गई. आनन फानन में कल कई फैसले लिये गए जिसमे इंटर के ख़राब परिणाम को देखते हुए अब कुल मिलाकर सोलह प्रतिशत ग्रेस देकर छात्रों को पास करने का भी फैसला लिया गया. लेकिन अब यहाँ सवाल यह उठता है की इस ख़राब रिजल्ट से जिन बच्चों ने अपना धैर्य खो कर जाने गवां दी उनके माँ - बाप को जवाब कौन देगा ? मैं मानता हूँ ये सरासर उन बच्चों की गलती है जिन्होंने ऐसा कदम उठाया. लेकिन ऐसी क्या जरुरत पड़ गई की सरकार को ग्रेस दे कर पास करने की जरुरत पड़ी? भले ही मुख्यमंत्री साहब ने यह कह दिया की कॉपी जांचने में कोई त्रुटी नहीं हुई है लेकिन क्या इस ग्रेस की खुसखबरी से शिक्षा प्रबंधन का गैर जिम्मेवाराना रवैया नहीं झलकता है ? पहले फ़ैल करो फिर पास करके अपनी वाह-वाही लूटो यह कहाँ तक सही है? आख़िरकार कॉपी जांचने में वैसे शिक्षकों को क्यूँ लगया जाता है जो छात्रों के जीवन भर की कमाई को महज़ रद्दी का कागज समझ कर उसे ठीक से पढते भी नहीं ? आखिरकर काउन्सिल वैसे कॉलेज को मान्यता क्यूँ देता है जहाँ की आधारभूत संरचना और शिक्षक न हों ? सरकार के पास बिना काम वाले मार्केटिंग बोर्ड का ऑफिस बनाने के लिये एक अरब रूपया है लेकिन जिस चीज की हमें सक्त जरुरत हैं "शिक्षा" उसके मंदिर बनाने की जब बात आती है तो गरीबी और मज़बूरी का रोना क्यूँ रोने लगती है ये सरकार ? आवाज उठाइए नहीं तो ये लोग इसी तरह प्रदेश का पैसा लुट कर वेदेशों में जमा करते रहेंगे और हमारा खून पी-पी कर खुद को बाहुबली साबित करते रहेंगे और हम सब बस एक दुसरे को जोहार करते रहेंगे...... जोहार सन्नी शारद.

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