हर वो समाचार को एक बेहतरीन अंदाज में पायें जो आप अक्सर चैनल और न्यूज़ पेपर में नहीं पा सकते हैं ! इस अचार युक्त समाचार पढ़ते वक़्त आपके जीभ से निकलने वाली चटकारा कि आवाज़ इतनी जोरदार होनी चाहिए कि सत्ता और व्यवस्था में बैठे लोगों के कान के पर्दें हिल जाएँ !

Monday, July 4, 2011

चवन्नी चिंतन ...

नयी नयी मूछे आ रही थी, पैर जमीं पर नहीं होते थे , सारा फलक उम्मीदों से भरा था , उमंग कुलाचे भरता था , आकाश भी छोटा लगता था या सीधे सीधे कहू कि जवान हो रहा था तब हर लड़की के दिल में अपना अक्स देखता था .. पॉकेट में ज्यादा पैसे नहीं होते थे रूपये चार रूपये ..तभी अमिताभ की किसी फिल्म में गाना आया ' राजा दिल मांगे च...वन्नी उछाल के " .. लगा कि अपने लिए ही आनंद बक्शी साहब ने इस रचना को रचा है और लता मंगेशकर (या आशा भोंसले ) ने मेरी ही आवाज को जुबान दी है ..महज चवन्नी उछलने से लड़की का दिल जीता जा सकता है तो अपने पास तो कई चवन्नी एक साथ होते थे ..चवन्नी का भाव तब समझ में आया . ..लेकिन चवन्नी के दम पर जिस लड़की को पटाया वह समय के अनुसार " लाइफ " , फिर " वाइफ" , होम , हिटलर और अब रांग नबर के नाम से अपने मोबाईल में दर्ज है . अब तो चवन्नी उछाल कर दिल पर कब्ज़ा करने की जो सोचता है उसे हड़प्पा कालीन संस्कृति का अवशेष माना जाता है ..जाहिर है चवन्नी गयी तो चवन्नी के नाम पर प्यार प्रेम करने वाले भी एंटिक आइटम हो गए ...अठन्नी अभी भी चलन में है लेकिन क्या इसमें इतना पावर है ? अब तो बीस रूपये के भी सिक्के चलने लगे हैं ..आनंद बख्शी साहब गणित कर रहे होंगे कितने का सिक्का अब दिल की नीलामी के लिए मुफीद होंगे ..वैसे गंभीरता से कहू लोगो का दिल दहलाने के लिए तो अभी एक अन्ना ( हजारे ) ही काफी है चार अन्ना सरकार कैसे संभालती सो दोनों अन्ना से सरकार ने किनारा कर लिया ..इसलिए कोई कितना भी कहे लेकिन अन्ना की कीमत कम नहीं होगी ...बाबा की भले हो जाये ....

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