हर वो समाचार को एक बेहतरीन अंदाज में पायें जो आप अक्सर चैनल और न्यूज़ पेपर में नहीं पा सकते हैं ! इस अचार युक्त समाचार पढ़ते वक़्त आपके जीभ से निकलने वाली चटकारा कि आवाज़ इतनी जोरदार होनी चाहिए कि सत्ता और व्यवस्था में बैठे लोगों के कान के पर्दें हिल जाएँ !

Thursday, June 9, 2011

जींस और टॉप को करें बाय, सलवार कमीज़ को अपनाएं


भारत में लड़कियों का सबसे सलीका वाला पहनावा माने जाने वाला सलवार कमीज़ विलुप्ति के कगार पर है पाश्चात्य संस्कृतियों ने इसे पूरी तरह अपनी जींस और टॉप कि जंजीरों में जकड़ लिया है रांची जैसे छोटे शहरों में यदि आप निकलें तो हर ओर कमर से नीचे सरकती जींस और नाभि से ऊपर चढ़ते टॉप का दर्शन हो सकता है लेकिन सलवार कमीज़ तो आपको खोजने से भी नहीं मिलेगी मेरी खुद कि रेडिमेड कि दुकान है पिछले दो साल से एक भी सलावार कमीज़ नहीं बिका मैं तो सुक्रगुजर हूँ बाबा का जिन्होंने सही समय में सलवार कमीज़ को सुर्ख़ियों में लाकर बाघ कि तरह विलुप्त हो रहे इस सलवार कमीज़ को फिर से नयी शुरुवात करने का मौका दे दिया है

वैसे लोग बाबा के भ्रस्टाचार के मुद्दे पर ध्यान दे रहे हों या नहीं लेकिन बाबा के सलवार कमीज़ पर हर किसी कि नज़र है। मुझे तो लगता है अब लड़कियां शान से सलवार कमीज़ पहिनेगी और कहेगी कि यही है बाबा कि राईट च्वाइस। एक समय था जब बाबा कहा करते थे कि कद्दू (लौकी ) खाओ, बाबा कि सबने सुनी और हर कोई खाने लगे। कद्दू कि बिक्री इतनी बढ़ गई कि दुकानदार से लेकर खरीदार तक अब कद्दू को कद्दू नहीं बल्कि बाबा रामदेव कहता है। इसलिए मुझे तो डर है कि कहीं सलवार कमीज़ का भी नाम बदलकर लोग बाबा रामदेव न रख दें. जब ऐसा हो जायेगा तो स्थितियां कैसी-कैसी होंगी.....राह चलते यदि लड़कियां सलवार कमीज़ में दिखी तो लोग कहेंगे वो देखो बाबा रामदेव पहन कर आ रही है. दुकान में लोग जायेंगे तो कहेंगे भईया सस्ता वाला बाबा रामदेव देना नौकरानी को देना है. भईया सूती वाला रामदेव देना जिसके साथ आराम से सो सकूँ. लड़कियां एक दुसरे को बोलेगी "क्या बात है तेरा रामदेव तो बड़ा मस्त दिख रहा है" "मुझे तो स्लीवलेस रामदेव बहुत अच्छे लगते हैं."
हमारे फ़िल्मी दुनिया वाले भी सलवार कमीज़ के पीछे हमेशा से ही लगे रहते हैं. पिछले दिनों बोजपुरी में एक गाना आया था "बड़ा जालीदार बा ताहर कुर्ती(सलवार कमीज़)" अब यदि उस गाने को रिमिक्स कर दिया जाये तो वो कुछ इस प्रकार हो जायेगा... "बड़ा जालीदार बा ताहर रामदेव"
मैंने अकबर इलाहाबादी कि एक लाइन किताब में पढ़ी थी "जब तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालो" उसी को मेरे गुरु जी ने रिमिक्स किया और कहा "जब सरकार मुकाबिल हो तो सलवार निकालो" यानि कि अनशन और धरने के साथ-सहत अब सलवार भी विरोध का एक सिम्बल हो गया. तो बस सलवार निकलते रहिये और सरकार का विरोध करते रहिये.
फ़िलहाल जोहार फिर मिलते हैं......
सन्नी शारद.

1 comment:

  1. झारखण्ड इडीयट न्यूज़......अपने न्यूज़ को कुछ इस तरह प्रकाशित करते है की पाठक न्यूज़ को एक नया रूप मे देख सकें. इनके संपादक को मैं धन्यवाद कहना चाहूँगा. वह अपने न्यूज़ से कितनी गहरी बातें हम जैसे इंसानों के कानो तक पहुंचाते हैं. जिन्हें अपनी हर रोज़ की जिंदगी में एक से दो घंटा इन न्यूज़ की सुर्ख़ियों को पढने और उनकी सोच को समझने की जरुरत है. मैं तो ओड़िसा से हूँ फिर हर रोज़ इस चटकारे वाले समाचार को पढने एक बार इधर जरुर आ ही जाता हूँ. एक बार फिर से धन्यवाद सन्नी जी और योगेश जी !

    ReplyDelete